लवण भास्कर चूर्ण के फायदे और नुकसान: पेट की समस्याओं का प्राकृतिक उपचार

आयुर्वेद जीवन का विज्ञान है। इसमें मानव स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए विभिन्न जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों और उनके औषधीय उपयोगों का उल्लेख किया गया है। इन जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों के संयोजन से क्वाथ, अवलेह, रसायन, और चूर्ण आदि बनाए जाते हैं। आयुर्वेद में पाचन संबंधी समस्याओं के लिए जड़ी-बूटियों से कई तरीके के चूर्ण के सूत्र दिए गए हैं। ऐसा ही एक पाचन में सहायक चूर्ण है लवण भास्कर चूर्ण। ये चूर्ण पेट संबंधी बीमारियों के लिए रामबाण है। इसका उपयोग अपच, भूख न लगना, पेट दर्द, कब्ज, जोड़ों से संबंधित समस्याएं आदि के इलाज में किया जाता है। यहां हम लवण भास्कर चूर्ण के फायदे और नुकसान के बारे में बात करेंगे। और इसमें उपयोग होने वाली सामग्री के बारे में बताएंगे।

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लवण भास्कर चूर्ण

लवण भास्कर चूर्ण क्या है?

लवण भास्कर चूर्ण विभिन्न लवणों (नमक) और अन्य सामग्री से तैयार किया गया दीपन (भूख बढ़ाने वाला) और पाचन को बेहतर बनाने वाला एक औषधीय चूर्ण है।

इसके मुख्य घटक लवन, जीरा, सोंठ, दाल चीनी, काली मिर्च, तेज पत्ता, धनिया, अनार दाना, तालीसपत्र, अमलवेतासा, अजवाइन, पिप्पली, हींग, आदि हैं।

इन सभी सामग्रियों को साफ कर, कूट और छान कर इनका चूर्ण बनाया जाता है।

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इसका उपयोग पेट से संबंधित विकारों के इलाज के लिए किया जाता है।

यह चूर्ण वात, कफ और पित्त दोषों को संतुलित करने में मदद करता है।

लवण भास्कर चूर्ण की सामग्री

1.) काला नमक

काला नमक पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करता है।

काले नमक में मुख्य रूप से सोडियम क्लोराइड होता है।

इसके अलावा, इसमें सोडियम सल्फेट और आयरन सल्फाइड की थोड़ी मात्रा होती है।

इसका प्रयोग रेचक और पाचन क्रिया को सुधारने में किया जाता है।

ये उदर वायु और पेट की जलन में राहत देता है।

यह मल त्याग की क्रिया में सुधार करता है।

2.) सेंधा नमक

इसे रॉक सॉल्ट  या पिंक सॉल्ट भी कहते हैं।

इसे पाकिस्तान और पंजाब के हिमालयी इलाकों से प्राप्त किया जाता है।

इसमें पाए जाने वाले खनिज इसके गुलाबी रंग के लिए जिम्मेदार हैं।

इसमें पोटेशियम और आयरन मिनरल होते हैं जो इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।

सैंधव लवण लार और गैस्ट्रिक जूस के उत्पादन को बढ़ाकर भोजन के पाचन को आसान बनाता है।

इसमें वातहर गुण भी होते हैं।

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3.) समुद्री नमक

यह लवण समुद्री नमक से प्राप्त होता है। इसमें मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे खनिज होते हैं।

चरक संहिता के अनुसार, समुद्री नमक का स्वाद थोड़ा मीठा और तीखा होता है।

यह रुचिकर, अन्न को पचाने वाला वा वातहर होता है।

4.) जीरा

ये वात और कफ को संतुलित करने का काम करता है।

जीरा दस्त और उल्टी को ठीक करने में मदद करता है।

इसके बीजों में मौजूद आवश्यक तेल में वातहर प्रभाव होता है।

ये गैस और सूज़न से राहत देता है।

जीरा पाचक रसों को बढ़ाता है और भोजन के उचित पाचन में मदद करता है।

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5.) अनारदाना

अनारदाना या अनार के बीज स्वाद को बढ़ाते हैं।

ये सूजन को कम करने में भी मददगार होते हैं।

यह आंतों के स्वास्थ्य में सुधार करता है और हानिकारक बैक्टीरिया से बचाता है।

6.) तालीसपत्र

इसके पत्ते खांसी को दूर करने के लिए बहुत प्रभावशाली है।

ये फेफड़ों की बीमारियाँ और श्वसन समस्याओं को दूर करता है।

7.) काली मिर्च

काली मिर्च लवण भास्कर चूर्ण को एक तीखा स्वाद देती है।

इसका महत्वपूर्ण तत्व पेपरिन गैस और सूजन से राहत देता है।

इसका एंटी-सेप्टिक गुण हानिकारक आंतों के बैक्टीरिया से बचाता है।

ये बैक्टीरिया अपच पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

यह इस चूर्ण के सबसे अच्छे फायदों में से एक है।

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8.) नागकेसर

ये रोगजनक सूक्ष्म जीवो को बढ़ने से रोक कर पेचिस का इलाज करता है।

यह लिवर को संक्रमण से बचाता है।

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9.) पिप्पली

इसका उपयोग सूजन को कम करने के लिए किया जाता है।

ये गैस्ट्रिक रस (पाचन रस) को बढ़ाकर पाचन तंत्र को मजबूत करता है।

10.) सूखी अदरक या सोंठ

सोंठ में पाचन क्रिया को बढ़ाने वाली गुण होते हैं।

इसमें पेट के अल्सर और पेट और आंतों से गैस खत्म करने का गुण होता है।

इसका बायोएक्टिव घटक जिंजरोल भोजन की पाचन गति को बढ़ाता है।

जिंजरोल मॉर्निंग सिकनेस के खिलाफ भी प्रभावी है।

सोंठ की प्रकृति गर्म होती है जो पाचन रस और पित्त प्रवाह को बढ़ाकर पाचन में सुधार करती है।

11.) दालचीनी

यह गैस, पेट और मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है।

12.) इलायची

यह भूख बढ़ाकर, पेट की गैस से राहत देकर, दिल की बेचैनी दूर करके पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है।

13.) हींग

इसका एंटीऑक्सीडेंट गुण पेट की श्लेष्मा झिल्ली की रक्षा करता है।

हींग में पेट को फूलने से रोकने की क्वालिटी होती है जो पेट में गैस बनने से रोकता है।

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14.) धनिया

पेट और अमाशय की गैस से राहत देता है। सूजन को कम करने में मदद करता है।

इसके तत्व सिट्रोनेलोल में एंटी-सेप्टिक गुण होता है।

इसके तत्व बोर्नियोल और लिनलूल पाचन में मदद करते हैं।

15.) अजवाइन

अजवाइन का स्वाद थोड़ा तीखा और कड़वा होता है।

इसके बायोएक्टिव तत्व थाइमोल में एंटी-स्पास्मोडिक गुण होते हैं जो सूजन, गैस और पेट दर्द से राहत देते हैं।

यह भूख बढ़ाने और एसिडिटी को कम करने में मदद करता है।

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16.) अमलवेतस

यह बहुत खट्टा फल होता है।

आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल औषधि के रूप में किया जाता है।

यह पाचन क्रिया को बेहतर बनाने में मदद करता है।

यह लीवर की सुरक्षा करता है और पेट के कीड़ों के संक्रमण में मदद करता है।

17.) तेजपत्ता

यह ऐंठन और मांसपेशियों के दर्द से राहत देता है।

गैस से राहत देता है।

लवण भास्कर चूर्ण के फायदे

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लवण भास्कर चूर्ण के फायदे

 

1.) भूख बढ़ाता है

लवण भास्कर चूर्ण अरुचि या भूख न लगने की स्थिति में लाभकारी है।

भोजन में अरुचि के कारण वात, कफ और पित्त दोष में असंतुलन पैदा होता है।

बिना पचा हुआ भोजन शरीर में विषाक्त पदार्थों के संचय का कारण बनता है।

लवण भास्कर चूर्ण में दीपन (भूख बढ़ाने वाला) और पाचन गुण होते हैं।

पित्त दोष को संतुलित करके यह जठराग्नि को बेहतर बनाता है।

2.) लवण भास्कर चूर्ण के फायदे अपच में

खान-पान की गलत आदतें बदहजमी का कारण बनती हैं।

अजीर्ण में कफ की अधिकता के चलते जठराग्नि कमजोर हो जाती है जिससे पाचन धीमा हो जाता है।

लवण भास्कर चूर्ण की सामग्री दीपन और पाचन को बेहतर करके अजीर्ण में सुधार करती है।

3.) अफ़ारा (Irritable Bowel Syndrome – IBS) में राहत

ये एक आंत का विकार है.

इसमें पेट दर्द, सुजन, दस्त, गैस आदि जैसी समस्याएं हो जाती हैं।

जीरा, काला नमक, अजवाइन, सोंठ आदि लवण भास्कर चूर्ण के तत्व आईबीएस की समस्या से राहत दिलाने में मदद करते हैं।

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लवण भास्कर चूर्ण के फायदे

4.) कब्ज में लवण भास्कर चूर्ण के फायदे

गलत खान-पान की आदतें जैसे मैदे से बनी तली-भुनी चीजें, अधिक चाय-कॉफी पीना, देर रात सोना, देर से खाना आदि से वात बढ़ता है।

इससे कब्ज की समस्या होती है।

लवणभास्कर चूर्ण में रेचक गुण होते हैं जो कब्ज की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।

5.) गठिया में लवण भास्कर चूर्ण के फायदे

रूमेटाइड आर्थराइटिस को आमवात भी कहा जाता है।

यह भोजन के ठीक से पाचन न होने या शरीर में विषाक्त पदार्थों के जमा होने के कारण जोड़ों में दर्द की स्थिति है।

लवण भास्कर चूर्ण में वातहर गुण होता है।

लवण भास्कर चूर्ण का सेवन करने से वात नियंत्रित होता है और जोड़ों के दर्द और सूजन में राहत मिलती है।

6.) लवण भास्कर बवासीर में लाभकारी

कब्ज या पेट का ठीक से साफ न होना बवासीर का मुख्य कारण है।

लवण भास्कर चूर्ण अपने रेचक गुणों के कारण बवासीर के रोग में बहुत प्रभावी है।

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लवण भास्कर चूर्ण का सेवन कैसे करें?

लवण भास्कर चूर्ण को रोग की स्थिति के हिसाब से विभिन्न प्रकार से लिया जा सकता है।

  • सामान्य समस्या में लवण भास्कर चूर्ण को भोजन से आधा घंटा पहले गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है।

यह बदहज़मी से राहत दिलाने में मदद करता है।

यह भोजन के पाचन और संचय के लिए अमाशय को तैयार करता है।

  • लवण भास्कर चूर्ण को भोजन के बाद छाछ के साथ लिया जा सकता है।

चूर्ण की मात्रा 1 ग्राम से 3 ग्राम के बीच हो सकती है।

इसका सेवन 1 महीने से 3 महीने तक किया जा सकता है।

  • खुश्की से पीड़ित व्यक्ति को लवण भास्कर चूर्ण को घी के साथ लेने की सलाह दी जाती है।

घी खुश्की को बढ़ने नहीं देता। आधा चम्मच लवण भास्कर चूर्ण को एक चम्मच घी के साथ लें।

  • अफारा की स्थिति में लवणभास्कर चूर्ण को दही के साथ लिया जा सकता है। 2-3 बार सेवन करें।

 

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लवण भास्कर चूर्ण बनाने की विधि

लवण भास्कर चूर्ण बनाने के लिए आवश्यक सामग्री और उनकी मात्रा निम्नलिखित हैं:

  • सेंधा नमक, काला नमक, धनिया, पीपली, पिपलामूल, जीरा, तेजपत्ता, नागकेसर, तालीसपत्र, अमलवेतस – प्रत्येक 20 ग्राम
  • समुद्री नमक – 80 ग्राम
  • काली मिर्च, जीरा, सोंठ – प्रत्येक 10 ग्राम
  • अनारदाना – 50 ग्राम
  • दालचीनी, बड़ी इलाइची – प्रत्येक 5 ग्राम

इन सभी सामग्रियों को अच्छी तरह से साफ कर लें और हल्का सा भून लें।

ठंडा होने के बाद इन्हें अच्छे से पीस लें और किसी एयर-टाइट कांच की बोतल में भरकर रख लें।

कुछ लोग चूर्ण को नींबू के रस में भिगोकर और सुखाकर भी इस्तेमाल करते हैं। इससे इसका स्वाद और ताकत बढ़ जाती है।

लवण भास्कर चूर्ण के नुकसान

हालांकि लवण भास्कर चूर्ण पेट के लिए सुरक्षित औषधि है लेकिन अधिक मात्रा में लेने पर यह पेट में जलन पैदा कर सकता है।

उच्च रक्तचाप की समस्या वाले लोगों को भी परेशानी हो सकती है, क्योंकि चूर्ण में नमक की मात्रा अधिक होती है, जिसे उच्च रक्तचाप में खाने से बचना चाहिए।

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लवण भास्कर चूर्ण के फायदे और नुकसान

टेकअवे संदेश

लवण भास्कर चूर्ण एक बहुउद्देशीय औषधि है।

यह प्राकृतिक जड़ी-बूटियों का उपयोग करके तैयार किया जाता है जो पाचन तंत्र के लिए सुरक्षित हैं।

यह एक वातहर और गैस्ट्रिक रिलीवर है।

लवण भास्कर चूर्ण भोजन को नरम करने में मदद करता है और इसे पचाने में आसान बनाता है।

यह पाचन एंजाइम और एसिड स्नाव को उत्तेजित करता है। यह पाचन में सहायता करता है।

चूर्ण बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री आंतों में चयापचय और परिसंचरण को बढ़ाती है।

यह आंतों की गतिशीलता को बढ़ाता है, विषाक्त पदार्थों को निकालता है, और वातहर लाभ प्रदान करता है।

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डिसक्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचारों को किसी चिकित्सक की सलाह का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने इलाज करने वाले चिकित्सक से परामर्श लें।

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