स्वामी विवेकानंद के सफलता के मंत्र
उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये।
खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप हैं।
सफलता की कुंजी तुम्हारे अंदर ही है, तुम्हें उसे खोजने की आवश्यकता है।
विश्व एक विशाल व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
मन में स्थिरता और संघर्ष के बिना सफलता असंभव है।
एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमे डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ।
जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो।
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