यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण की परम प्रेमिका और भक्तिभावना की प्रतीक राधा जी के जन्मदिन को मनाते हैं।
यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
इस दिन भक्त राधा जी के प्रति अपनी भक्ति और प्रेम को अधिकतरता के साथ व्यक्त करते हैं।
राधा अष्टमी हर साल कृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिन बाद आती है।
इस साल राधा अष्टमी शनिवार, 23 सितंबर यानी आज मनाई जा रही है।
शुभ मुहूर्त
आज के दिन राधा जी की पूजा का मुहूर्त सुबह 11 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक रहेगा।
व्रत और पूजा
राधा अष्टमी के दिन व्रत रखने का आदिकाल से परंपरागत माना गया है।
व्रत और पूजा
व्रत के दौरान, भक्त उपवास करते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
व्रत और पूजा
भक्त को राधा अष्टमी पर पूरे दिन व्रत करना चाहिए और सिर्फ एक समय फलाहार करना चाहिए।
व्रत और पूजा
इसके पश्चात, राधा-कृष्ण जी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगा जल) से स्नान कराएं और फिर मूर्ति का श्रृंगार करें।
व्रत और पूजा
श्रृंगार करने के बाद राधा रानी और कृष्ण जी को भोग लगाएं तथा उन्हें धूप, दीप, फूल आदि अर्पित करें।
व्रत और पूजा
भक्त राधा जी के नाम के मंत्र जपते हैं और उनके गुणों की महिमा का गान करते हैं।
व्रत और पूजा
घर का बना भोग प्रसाद - तुलसी पत्र, पंचामृत, पंजीरी, खीर, हलवा, मालपुआ, पूरी और चना चढ़ाएं।
भोजन
राधा अष्टमी के दिन व्रत का पालन करते समय, भक्त विशेष प्रकार के खाद्य पदार्थ खाते हैं जैसे कि साबूदाना खिचड़ी, फल, दूध, और व्रत के लिए बनाये गए नमकीन और मिठाई।
राधा अष्टमी के दिन भक्त आपसी मिलनसर करते हैं और राधा और कृष्ण की कथाओं को सुनते हैं जो उनके प्रेम और भक्ति का प्रतीक हैं।