नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है; वह सभी दिव्य आकांक्षाओं को पूरा करती है।
देवी के नाम का अर्थ है- वह जो अपने भक्त को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्रदान करती है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के शरीर का एक भाग देवी सिद्धिदात्री का है।
इसलिए उन्हें अर्धनारीश्वर के नाम से भी जाना जाता है।
वैदिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव ने देवी सिद्धिदात्री की पूजा करके सभी सिद्धियाँ प्राप्त की थीं।
देवी सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और सिंह पर सवार हैं।
उन्हें चार हाथों से दर्शाया गया है। उनके एक दाहिने हाथ में गदा और दूसरे दाहिने हाथ में चक्र है।
उनके एक बाएं हाथ में कमल का फूल और दूसरे बाएं हाथ में शंख है।
उनकी पूजा केवल मनुष्य ही नहीं बल्कि देव, गंधर्व, असुर, यक्ष और सिद्ध भी करते हैं।
मंत्र
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥
प्रार्थना
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माँ सिद्धिदात्री को चने और हलवे का भोग लगाएं। नवमी के दिन कन्याओं को भी भोजन करवाया जाता है।
Interested in reading more articles, visit my blog: Health First