नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा की जाती है।

हिंदू धर्म के अनुसार, महागौरी अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति रखती हैं।

महागौरी नाम का अर्थ अत्यंत उज्ज्वल, स्वच्छ रंग, चंद्रमा की तरह चमक वाला होता है।

वह केवल सफेद वस्त्र धारण करती हैं और इसी कारण उन्हें श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है।

देवी महागौरी की सवारी बैल है और इस वजह से उन्हें वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है।

देवी महागौरी एक दाहिने हाथ में त्रिशूल रखती हैं और दूसरे दाहिने हाथ को अभय मुद्रा में रखती हैं।

वह एक बाएं हाथ में डमरू धारण करती हैं और दूसरे बाएं हाथ को वर मुद्रा में रखती हैं।

मंत्र ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

प्रार्थना श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

स्तुति या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माँ गौरी अपने भक्तों को ज्ञान देती हैं और मोक्ष प्रदान कर पुनर्जन्म के भय को दूर करती हैं।