मां शैलपुत्री की पूजा विधि, भोग, मंत्र और आरती

नवरात्र का पहला दिन

नवरात्र के पहले दिन घटस्थापन के बाद मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री का पूजन, अर्चन और स्तवन किया जाता है।

नवरात्र का पहला दिन

"शैल" का अर्थ होता है "पर्वत" और "पुत्री" का अर्थ होता है "कन्या"। माँ शैलपुत्री का अर्थ होता है "पर्वत की कन्या"।

नवरात्र का पहला दिन

माँ शैलपुत्री की कथा पुराणों में उल्लिखित है, जिसमें वे भगवान शिव की पत्नी बनीं।

नवरात्र का पहला दिन

माँ बैल (नंदी) पर सवार होती हैं और त्रिशूल और कमल धारण करती हैं।

नवरात्र का पहला दिन

शैलपुत्री का प्रिय पुष्प चमेली है। इसलिए देवी की पूजा चमेली के फूलों से करें।

नवरात्र का पहला दिन

आज गणेश वंदना से आरंभ करके षोडशोपचार पूजा करें। पूजा का समापन आरती के साथ करें।

नवरात्र का पहला दिन

शैलपुत्री मंत्र:  ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः ॐ देवी शैलपुत्र्यै स्वाहा वन्दे वांच्छित लाभाय, चन्द्रार्धकृतशेखरम् वृषारूढं शूलधारां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्

नवरात्र का पहला दिन

माँ शैलपुत्री प्रार्थना: वन्दे वांच्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम् वृषारूढं शूलधरं शैलपुत्रीं यशस्विनीम्

नवरात्र का पहला दिन

माँ शैलपुत्री स्तुति: या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

नवरात्र का पहला दिन

माँ शैलपुत्री का पूजन करते समय अक्षमाला का जाप किया जाता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है।

नवरात्र का पहला दिन

माँ शैलपुत्री का प्रतीक रंग पीला होता है, जो सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक होता है।

नवरात्र का पहला दिन

माँ शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को शक्ति और साहस मिलता है, जो उन्हें जीवन के हर कठिनाई में साफलता प्राप्त करने में मदद करता है।

नवरात्र का पहला दिन